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अनुभव के आधार पर व्यपारिक फार्मासिस्ट बनाने की प्रधानमंत्री से लगाई गुहार

हंस राज मेहता,नवादा :- नवादा केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक मांग पत्र भेजकर रिटेल दवा विक्रेताओं के भविष्य सुरक्षित करने के लिए व्यवसायिक फार्मासिस्ट घोषित करने की गुहार लगाई  है । एसोसिएशन का मानना है कि जो रिटेल दवा विक्रेता वर्षों से इस जनहित कार्य में लगे हुए हैं उन्हें मात्र अपनी दुकान के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण हेतु  व्यापारिक फार्मासिस्ट का दर्जा दे दिया जाए ।

जैसा हाल ही में 10 नवंबर 2017 को भारत सरकार के अधिसूचना क्रमांक 1380  (अ) के माध्यम से जिन लोगों ने होम्योपैथिक क्षेत्र में कार्य करने का 1 वर्ष का अनुभव प्राप्त हो उन्हें 20 c, 20D के माध्यम से एक प्रमाण पत्र जारी कर लाइसेंस दिए जाने का प्रावधान है ठीक उसी प्रकार एलोपैथिक रिटेल दवा विक्रेता को भी एक वर्ष के अनुभव के आधार पर मात्र अपने व्यापारिक स्थल पर काम करने के लिए व्यापारिक फार्मासिस्ट का दर्जा दे देना चाहिए । जिसमें यह शर्त विशेष तौर पर सार्वजनिक की जाए की यह व्यापारिक फार्मासिस्ट सरकारी नौकरी या किसी अन्य दुकान को चलाने हेतु मान्य नहीं है नवादा केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन अध्यक्ष बृजेश राय व महासचिव अनिल प्रसाद का मानना हे कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के माध्यम से शीघ्र सार्थक हल निकलेगा ।

उल्लेखनीय है कि यह औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 1945 के लागू होने के समय आज जैसा आधुनिक दवा पद्धति नहीं थी पहले वेदों द्वारा अपने शिष्यों को जड़ी बूटियों की पहचान करवा उन्हें उचित मात्रा में गोल लेप अवयव तैयार करने हेतु प्रशिक्षित एवं निर्देश दिए जाते थे आज के समय में दवा निर्माता उचित रसायनों अवयवों के मिश्रण को सील बंद तरीके से एक नाम देखकर बाजार में उपलब्ध करवाता है जिसे चिकित्सक द्वारा नाम ही सुझाया जाता है नाकी अलग-अलग साल्ट मिलाकर गोलियां घोल या अवयव विक्रेता आज दवा विक्रेता द्वारा तैयार नहीं किए जाते है आज दवा विक्रेता का शिक्षित होना तथा दवा व्यवसाय की जमीनी विस्तृत जानकारियां से लैस होना अत्यंत आवश्यक मापदंड होना चाहिए ताकि दवा विक्रेता डॉक्टर द्वारा सुझाए गए नामों की दवा उचित तापमान पर अपने व्यापारिक स्थल पर रखें और रोगी को उपलब्ध करवाएं जब किसी भी दवा का गोलिया/ मिश्रण दवा विक्रेता द्वारा नहीं किया जाना तो ऐसे में फार्मासिस्ट की आवश्यकता पर बेवजह कड़े नियमों में अब दवा विक्रेताओं के द्वारा जनहित में किए जा रहे कार्यों के चलते बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक एवं विचारणीय विषय है ।

 



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