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उपलब्धि: प्रसव के दौरान बची 12000 माताओं की जिंदगी

-2012 की तुलना में 2015 में प्रसव के दौरान माताओं की मृत्‍यु में लगभग 12000 की उल्‍लेखनीय कमी आई 
 
-भारत ने प्रति लाख शिशुओं के जन्‍म पर 139 की मातृ मृत्‍यु दर (एमएमआर) का सहस्राब्‍दी विकास लक्ष्‍य (एमडीजी) हासिल कर लिया है : नड्डा 
 
-हम आयुष्‍मान भारत| पीएमआरएसएसएम को लागू करने के लिए 14 राज्‍यों के साथ एमओयू पर हस्‍ताक्षर करेंगे|
 
पूजा, नई दिल्ली: ‘2012 की तुलना में 2015 (मध्‍य वर्ष) में हमने लगभग 12000 माताओं का जीवन बचाया है। पहले प्रसव के दौरान हर वर्ष 44000 माताओं की मृत्‍यु हो जाती थी, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर केवल 32000 के स्‍तर पर आ गया है।’ यह बात केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने यहां सरकार की 48 महीनों की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्‍मेलन में कही। श्री नड्डा ने कहा कि देश में 2013 से मातृ मृत्‍यु दर (एमएमआर) में रिकॉर्ड 22 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो पहले की तुलना में अब तक की एमएमआर में कमी का सबसे अधिक प्रतिशत है। श्री नड्डा ने कहा, ‘भारत ने 2015 तक 130 शिशुओं को जीवित पैदा कराने में सफलता हासिल कर 139 प्रति लाख जीवित शिशुओं के जन्‍म के एमएमआर के सहस्राब्‍दी विकास लक्ष्‍य (एमडीजी) को हासिल किया है। इस दर से हम 2030 की लक्षित समय सीमा से पहले 2022 तक 70 का सतत विकास लक्ष्‍य (एसडीजी) को हासिल कर लेंगे।’
  

  संवाददाता सम्‍मेलन में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और अनुप्रिया पटेल, सचिव (स्‍वास्‍थ्‍य) श्रीमती प्रीती सूदन और आयुष्‍मान भारत मिशन के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री इन्‍दु भूषण भी उपस्थित थे।
   
श्री नड्डा ने कहा कि 10 राज्‍यों ने पहले ही एमएमआर के सहस्राब्‍दी विकास लक्ष्‍यों (एमडीजी) को हासिल कर लिया है। उत्‍तर प्रदेश में 2013 से एमएमआर में 30 प्रतिशत की कमी से सरकार के प्रयासों के परिणाम भी नजर आ रहे हैं। श्री नड्डा ने कहा कि एमएमआर कम करने के एमडीएच लक्ष्‍य को हासिल करने में आरएमएनसीएच +ए के अंतर्गत जीवन चक्र का दृष्टिकोण और देखभाल जारी रखने के खाके का काफी योगदान रहा है।
 
  सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि व्‍यापक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल को देश की वास्‍तविकता बनाने वाले ‘आयुष्‍मान भारत’ है। देश के समेकित स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज का यह दृष्टिकोण व्‍यापक प्राथमिक देखभाल सुनिश्चित कराने पर आधारित है, जो द्वितीयक और तृतीयक देखभाल से जुड़ा है। इससे देश के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के परिदृश्‍य में बदलाव आएगा। हम ‘आयुष्‍मान भारत’ लागू करने की तय समय सीमा के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं।   



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