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सूरत-ए-हाल चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल नासाज है साल बीतने को नहीं हो पा रही ठेका कर्मचारियों की संख्या की पुष्ठि आखिर कहां छुपा है राज, कौन है इसका जिम्मेवार

अमर वर्मा, भिवानी : आज-कल-आज करते करते पूरा साल बीत गया, लेकिन चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल में पिछले एक साल से ठेका कर्मचारियों की संख्या को लेकर जो चर्चाएं थी उनकी पुष्टि नहीं हो पाई। साल भर के लिए ठेका कर्मचारियों को रखने का अनुबंध ३० मई को समाप्त हो जाएगा। गत वर्ष एक जून से ठेकेदार द्वारा १७८ कर्मचारी ठेका आधार पर अस्पताल में तैनात किए गए थे।

लेकिन ठेकेदार द्वारा एक साल बीतने के बावजूद भी ठेका कर्मचारियों की संख्या पूरी नहीं हो पाई, जबकि आला अधिकारी इस मामले में लीपापोती कर कर्मचारियों की संख्या पूरी दिखा सरकार की लाखों रूपयों की राशि को पलीता लगाने के फिराक में रहे और कामयाबी भी हासिल की। इसके लिए उन्हे कौन सा हथकंडा अपनाना है, इसके भी प्रयोग किए जा रहे है कि कहां उनका प्रयोग सिद्ध हो और काम बनें। सामान्य अस्पताल में नियम के अनुसार करीब ३०० वर्ग मीटर की सफाई के लिए एक सफाई कर्मचारी की आवश्यकता है। अस्पताल का परिसर २१ हजार वर्ग मीटर में फैला है। इसके हिसाब से ७० सफाई कर्मचारियों की जरूरत है।

अगर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की बात करें तो आंतरिक विभाग में निर्धारित बिस्तरों के हिसाब से उन्हे रखा जाता है। मोटा-मोटी ८० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की जरूरत थी। इसके अलावा कम्प्यूटर ऑपरेटर, कार्पेंटर, पलम्बर, इलैक्ट्रीशियन, सीवरमैन के पद भी कुल मिलाकर इन पदों की संख्या १७८ बैठती है। मजे की बात यह है कि गत वर्ष एक जून से शुरू हुए ठेके में अभी तक ठेकेदार द्वारा १७८ कर्मचारियों को अस्पताल के सेवाओं में नहीं लगाया गया और अनुबंध समाप्त होने में कुछ ही दिन बाकि हैं। 

पूरा साल लीपापोती में गुजरा इस बारे में कोई पुष्ट सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस मामले में सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगी जा चुकी है, लेकिन इस जानकारी में भी तथ्यों को छुपाने का काम ही किया गया है। सामान्य अस्पताल की तरफ से ठेकेदार को कई बार पत्र भी लिखा गया था, लेकिन आला अधिकारियों के वर्धहस्त के चलते ठेकेदार पर इन पत्रों का शायद कोई असर नहीं हुआ। जबकि आला अधिकारी इस फिराक में थे कि बिना सूची पूरी हुए काम चलता रहे और ठेके पर लगे कर्मचारियों की आड़ में धांधली बाजी चलती रहे।

अस्पताल में ठेका कर्मचारियों की उपस्थित दर्ज करने के लिए बायोमैट्रिक मशीन लगाने का प्रस्ताव तो लम्बे समय से है। अन्य जिलों में उपस्थिति के लिए बायोमैट्रिक मशीन लग चुकी है। लेकिन भिवानी में यह कार्य क्यो नहीं हुआ, यह भी विचारणीय विषय है। गत वर्ष जून माह से शुरू हुए ठेका कर्मचारियों का सत्र ३१ मई को समाप्त हो जाएगा। लेकिन कर्मचारियों की संख्या को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। इस सारे खेल के पीछे कौन सी शक्तियां है, यह चण्डीगढ़ में बैठे आला अधिकारी भी जानते है। लेकिन कार्रवाई करने में क्यो गुरेज कर रहे है यह समङा से परे है।  अखबारों में इस घटना की चर्चा हुई तो आनन-फानन में १७८ कर्मचारियों की सूची तो सौंप दी गई थी। फिर सवाल यह उठा की ये कर्मचारी कहां-कहां तैनात हैं, इसका लेखा-जोखा ठेकेदार नहीं बता पाया। 

क्योंकि सूची १७८ लोगों को सौंपी गई और कर्मचारियों की संख्या कम थी। रिमोट शायद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी द्वारा ही चलाया जा रहा बताया जाता था। इसीलिए इस मामले पर लीपापोती का प्रयास भी हुआ, लेकिन जब बात चंडीगढ़ के गलियारों तक पहुंची तो कार्रवाई भी होना स्वाभाविक था। आखिरकार इस मामले की पारदर्शिता से जांच के लिए तत्कालिन प्रधान चिकित्सा अधिकारी ने एक वरिष्ठ चिकित्सक सहित चार चिकित्सकों की कमेटी गठित की थी और आदेश जारी किए गए कि ठेका पर लगाए गए

सभी कर्मचारियों के आधार कार्ड का मिलान कर उनकी उपस्थिति जांची जाए। सूचना अधिकार के तहत ठेकेदार अस्पताल प्रशासन के बीच जो करार हुआ था, उसकी प्रति में न किसी तारीख का उल्लेख है और न ही कोई स्पष्ट किया गया है कि यह किस समय के लिए है। गत वर्ष २२ जुलाई को अधिकारियों की टीम ने जब ठेका कर्मचारियों की जांच शुरू की तो पूरा दम-खम लगाने के बावजूद भी ठेकेदार १०८ कर्मचारियों को ही प्रस्तुत कर पाया था। ठेका कर्मचारियों की संख्या को रिकॉर्ड में पूरा दिखाकर घालमेल के लिए शीर्ष अधिकारियों द्वारा तरह-तरह से इस प्रकरण में जुटे अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा था, ताकि स्याह को सफेद कर दिया जाए।
 
मजे की बात यह है कि चण्डीगढ़ के गलियारों में भी पहुंची हुई थी। फिर भी उन अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, जो इस प्रकरण में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका
निभा रहे है और अधिकारियों पर दबाव बना रहे है। गत वर्ष नवम्बर माह में
सामान्य अस्पताल में प्रधान चिकित्सा के रूप में डॉ. डीएन बागड़ी ने
स्थाई रूप से कार्यभार संभाला तो इन मामले में गंभीर कार्रवाई का दावा
किया, लेकिन उनका तबादला हो गया। अपने कार्यकाल में भी वे किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर सके। भले ही स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अपना
तेज-तर्रार लहेजा दिखाने का प्रयास करते हों। उन्होंने कई मामलों में
प्रदेश के अस्पतालों में अनियमितताओं को लेकर संज्ञान भी लिया, लेकिन
भिवानी चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल के मामले में स्वास्थ्य मंत्री विज ने चुप्पी क्यों साध रखी है। यह भी एक बड़ा सवाल है। अनुबंध की अवधि बीत जाने के बाद शायद इस मामले पर मिट्टी डालने का प्रयास भी किया जाएगा। क्योंकि जो लोग इस मामले से जुड़े हुए हैं। उनमें से कुछ अधिकारी इधर से उधर हो चुके हैं।
 

इस बारे में सिविल सर्जन डॉ. आदित्यस्वरूप गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मुङो कार्यभार संभाले एक पखवाड़ा भी नहीं हुआ है। अतीत में जो हुआ है उसके बारे में उन्हें खास जानकारी नहीं है। लेकिन भविष्य ठेका आधार पर जो कर्मचारी रखे जाएंगें, उसमें हर तरह से पारदर्शिता बरती जाएगी। डॉ. गुप्ता ने कहा कि अस्पताल में बेहतर सेवा रोगियों को मिले, इसके लिए वे पूरा प्रयास करेंगे। नये सिरे से व्यवस्था जमाने के लिए उन्हें कम से कम एक महीने का समय चाहिए।



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